अब होगा कि तब होगा, न जानें मन मुताबिक़ मंज़र कब होगा, मुझे एतबार है खुदा के हर माकूल फैसले पर एक रोज़ मेरे हिस्से में भी सब होगा, मैं भी आंखें टिका कर बैठ गया हूं दर पर उसके, जब भी होगा माहौल गज़ब होगा। वो चाहता तो राहें सीधी भी रख सकता था, इन रास्ते के पत्थरों का भी कुछ मतलब होगा। ©अम्बुज बाजपेई"शिवम्" #thoughts💭 #etbar_e_khuda