दूर कही तन्हा एक शहर खण्डर हो चुके मकान तबाह हुइ कुछ फ़सले उजडा हुआ गुलिस्तान सन्नाटा पसरा हर जानिब हर गली सडक सुनसान बुझी बुझी सी है शमा हर महफ़िल है विरान उखडे उखडे से अल्फ़ाज़ कटी कटी सी ज़बान रो पडे फ़रिश्ते भी सुनकर किया जो हाल ए दिल बयान हाल ए दिल