नहीं खेलती मैं तुझसे कोई खेल बेगानों का, नज़र-अंदाज़ कर तुझे फिर पास बुलाने का नहीं आता मुझे यूँ झूठा सा रूठ जाना, हठ कर फिर तुझसे अपनी बातें मनवाना बोल देती हूँ तुझसे जो जी में आता है हरदम, नहीं आता मुझे अल्हड़पन में तुझे सताना जाने दे रहीं हूँ तुझे इस नादाँ प्यार के ख़ातिर, नहीं आता मुझे धमकी देकर तुझे रोक लेना #प्रेम #नज़रअंदाज़ #yqdidi #yqbaba #drgpoems