– On Facebook Friends सारे, रियल में लगाव ना, खत्म होती जा रही है अपनेपन की भावना, फूल भी भेजते है लोग कागज का बना. – कहने के लिए दुनिया आज ग्लोबल हो गई, मगर लोगों के बीच की दूरियां डबल हो गई. पास होके भी अब कोई पास नहीं रहता हैं, नेट की स्पीड में जीवन ये तो बहता है. – जहरीला हो गया है मौसम ये सुहावना, खत्म होती जा रही है अपनेपन की भावना, फूल भी भेजते है लोग कागज का बना. – रोशनी में नहाए गलियां सारी ,नुक्कड़ सारे, बल्ब से सजे रहते है सारे चौक-चौराहे और चौबारे. दिन और रात में अब ज्यादा फर्क ना रहा, घर का कोना-कोना है इन दिनों जगमगा रहा. – मगर सबके दिल में बस रहा है एक अंधेरा घना, खत्म होती जा रही है अपनेपन की भावना, फूल भी भेजते है लोग कागज का बना. #apnepan_ki_bhavna