क्या तुम्हें याद है जब भी तुम साड़ी पहनती थी तो तुम्हारे कमर के कुछ हिस्से को साड़ी ढक नहीं पाती थी और वो जो तिल है न तुम्हारे कमर पे वो साफ दिखाई देखा था, मैं उस तिल को चूमने की ज़िद करता तो पहले तो तुम मना करती पर फिर मान जाती थी मेरे होंठ जब तुम्हारे नाज़ुक कमर को छूते थे तो तुम शरमाते हुए अपनी आंखे बंद कर लिया करती थी । ( READ CAPTION 👇) — % & क्या तुम्हें याद है कैसे तुम मेरे सीने पे सिर रख के सारी सोया करती थी क्या तुम्हें याद है कैसे मैं तुम्हारा हाथ पे मेहंदी से अपने नाम का पहला अक्षर लिखा करता था