ज़िदंगी के इस सफ़र में जब कोई मुश्किल मोड़ आया ना ग़ैरों ने हमें पूछा ना अपनों ने ही साथ निभाया मँज़िलें भी हमारे करीब से गुज़र गई थीं ना हमें रास्ता पता था ना लोगों ने कुछ बताया एक तमन्ना यही थी कुछ ज़िदंगी में रंग भर दूं जिन्हें था दोस्त समझा धोखा उन्हीं से खाया अजीब है ये दुनिया अजीब हैं इसके मकसद सच सामने खड़ा था हकीकत ने चुप कराया लगता है अब हमें डर कहीं पहचान खो न जाए किरदार बहुत बदले फ़ितरत को बदल ना पाया ये जरूरी नहीं है हर सफ़र की हो मंज़िल कभी जरूरतों ने है परखा कभी तकदीर ने है आज़माया... © abhishek trehan #THREADSTATIC #Zindagi #safar #mushkil #Dard #abhishektrehan #manawoawaratha