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हो कोई हुस्न या फिर कोई जलवा अब नजर भी उठा के देखू

हो कोई हुस्न या फिर कोई जलवा
अब नजर भी उठा के देखूं तो बता

हो वादियां हंसी या फिर कोई बला
अब कभी अडिग मन झुके तो बता

इश्क के हुस्न से बचना यहां आसान नहीं
पर अमर की छाया भी पड़ जाय तो दिखा

जिंदगी गुजरी रौनकें ईश्वर के इर्द गिर्द
अब आस दीपक की बुझ जाए तो बता

दिन गुजरे सुनहरे , योग पथिक जिंदगी
अब दिखे किसी की बंदगी तो अवश्य बता

कर हाथ जोड़ परमसत्य , ईश्वर आराध्य
केवल वसुदेव नाम ,अलग कुछ दिखे तो सुना

©Amar Anand
  #अध्यात्म_ज्ञान