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लिपट जाऊं इन बाहों में इतनी इज़ाज़त दो ठंड ठिठोरती र

लिपट जाऊं इन बाहों में इतनी इज़ाज़त दो
ठंड ठिठोरती रात में मोहब्बत की बरसात दो
आज भी दिल को कंबल से ढक कर रखा हूँ
वस्ल की हो पल हसीन मुलाकात की रात दो।

©Deepak mahapatre kove
लिपट जाऊं इन बाहों में इतनी इज़ाज़त दो
ठंड ठिठोरती रात में मोहब्बत की बरसात दो
आज भी दिल को कंबल से ढक कर रखा हूँ
वस्ल की हो पल हसीन मुलाकात की रात दो।

©Deepak mahapatre kove