मन मरया ममता मुई, जहं गई सब छूटी। जोगी था सो रमि गया, आसणि रही बिभूति । मन को मार डाला ममता भी समाप्त हो गई अहंकार सब नष्ट हो गया जो योगी था वह तो यहाँ से चला गया अब आसन पर उसकी भस्म–विभूति पड़ी रह गई अर्थात संसार में केवल उसका यश रह गया ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' भस्म–विभूति