सोचा नहीं अच्छा बुरा देखा सुना कुछ भी नहीं, मांगा खुदा से रात दिन तेरे सिवा कुछ भी नहीं, जिस पर हमारी आंख ने आंसू बहाए रात भर, भेजा वही कागज उसे हमने लिखा कुछ भी नहीं , एक शाम की दहलीज पर बैठे रहे वो देर तक, आंखों से की बातें बहुत मुंह से कहा कुछ भी नहीं।। जगजीत सिंह जी🙏