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इम्तेहान की घड़ी हैं और जहर से घूंट पी रहा इंसान ह

इम्तेहान की घड़ी हैं और 
जहर से घूंट पी रहा इंसान हैं। 
 जूठ के पांव मजबूत हैं और 
सच कहि कोसो दूर हैं
 लोगो के ताने हैं
जूठे कसमे वादे हैं, और उनको देता भी इंसान हैं
 फ़रिश्ता बन मुखौटा पहने बैठा शैतान हैं
हाय !!
हिम्मत हारा बैठा सच्चा इंसान हैं
अपनों की खुशियों से ही जला बैठा अपना इंसान है
 दुख की घड़ी में भी ओरो पर हस्ता इंसान है
 अपनी बारी भूल ओरो में कमियां भी तलाश करता
इन्सान है
खुदका किरदार देखे बिगर ओरो के किरदार पर उंगलिया उठाता भी इंसान है
इंसानियत की बात करता है 
लेकिन धर्म के नाम पर नफरत भी फ़ैला रहा इंसान
हैं।

©Nikhat #इंसान_है#randomlines
इम्तेहान की घड़ी हैं और 
जहर से घूंट पी रहा इंसान हैं। 
 जूठ के पांव मजबूत हैं और 
सच कहि कोसो दूर हैं
 लोगो के ताने हैं
जूठे कसमे वादे हैं, और उनको देता भी इंसान हैं
 फ़रिश्ता बन मुखौटा पहने बैठा शैतान हैं
हाय !!
हिम्मत हारा बैठा सच्चा इंसान हैं
अपनों की खुशियों से ही जला बैठा अपना इंसान है
 दुख की घड़ी में भी ओरो पर हस्ता इंसान है
 अपनी बारी भूल ओरो में कमियां भी तलाश करता
इन्सान है
खुदका किरदार देखे बिगर ओरो के किरदार पर उंगलिया उठाता भी इंसान है
इंसानियत की बात करता है 
लेकिन धर्म के नाम पर नफरत भी फ़ैला रहा इंसान
हैं।

©Nikhat #इंसान_है#randomlines