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ना तमन्ना है अब जिस्मों की। ना आस है अब प्यार की।।

ना तमन्ना है अब जिस्मों की।
ना आस है अब प्यार की।।
टूट चुका हु कुछ इस तरह की ।
तलाश है बस दो पल सुकून के एहसास की।।

©Kumar Gaurav
  #सुकुन-ए-तलाश
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Kumar Gaurav

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