एक दफा जो हो खडी छोटी हो या बडी मन की हो या ईटों से जडी करती है तो बस दरकिनार कहलाती है वो दिवार भद्दी हो या खुबसूरत लिपी हुई सिधी कभी थोडी झुकी हुई कल के सारे बोझ लिए ताकि लोग सुकुन से जिए कुछ आहट इस ओर है तो हलचल उस पार भी दोनों-दिशाओं-में खुशी देखती है पर जानती है हर गम भी है रंग कई और कई आकार जाने अनजाने बन ही जाते हैं दिवार #diwar #wall #akelapan #yqdidi #yqbaba #yqquotes