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*ऐसा क्यूँ है...!!!* वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे

*ऐसा क्यूँ है...!!!*

वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे,
फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है!

  दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है,
इन‌ ऊँची मिनारों में सन्नाटे क्यूँ हैं!

परवाज़ लगाए परिंदा उड़ कर आसमां में,
ज़मीं से बिछड़ कर, वो अकेला क्यूँ है!

जिस्मानी रिश्ते बिक रहे हैं थोक में,
है ये बाज़ार, तो हर शख़्स तन्हा क्यूँ है!

   ग़ुज़र‌ गया हर‌ क़स्बा राहगिरों की तरह,
मंज़िल पर आकर, तेरी आँखों में नमी क्यूँ है!

अंधेरे में चेहरे नज़र आते नहीं,
रौशनी हुई तो, पीठ‌ पर ख़ंज़र क्यूँ है!

महफ़िल में यार के, हँस रहा वो ज़ोर-ज़ोर‌ से,
सवाल है, महबूब मिरा, साथ मिरे यार के, खड़ा क्यूँ है!

ये कैसी लपटें उठी हैं कि, जल‌ रहा है जहां,
है बरसात, मगर, सीने में तपन क्यूँ है!

वो कहते हैं, सब ठीक है ख़बर यहाँ,
है सब ठीक वहाँ तो, मेरे शहर में ज़लज़ला क्यूँ है!

मुस्कुराकर मिल‌ रहे हैं वो, इक ज़माने के बाद,
आज भी वो बात-बात पर नज़र चुराते क्यूँ हैं!

नाकद्रों की टोली में इंसां बहुत हैं जनाब,
है ख़राब ज़माना, घर-घर में बेटियांँ क्यूँ है!

कई हैं जवाब, हर बात की बहुत लाजवाब,
है हज़ार विचार, मन‌ में इतने सवाल क्यूँ है!!

मन में इतने सवाल क्यूँ हैं...???

🍁🍁🍁

©Shweatnisha Singh🌸 🍁*ऐसा क्यूँ है...!!!*🍁

     वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे,
फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है!

  दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है,
  इन‌ ऊँची मिनारों में सन्नाटे क्यूँ हैं!
*ऐसा क्यूँ है...!!!*

वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे,
फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है!

  दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है,
इन‌ ऊँची मिनारों में सन्नाटे क्यूँ हैं!

परवाज़ लगाए परिंदा उड़ कर आसमां में,
ज़मीं से बिछड़ कर, वो अकेला क्यूँ है!

जिस्मानी रिश्ते बिक रहे हैं थोक में,
है ये बाज़ार, तो हर शख़्स तन्हा क्यूँ है!

   ग़ुज़र‌ गया हर‌ क़स्बा राहगिरों की तरह,
मंज़िल पर आकर, तेरी आँखों में नमी क्यूँ है!

अंधेरे में चेहरे नज़र आते नहीं,
रौशनी हुई तो, पीठ‌ पर ख़ंज़र क्यूँ है!

महफ़िल में यार के, हँस रहा वो ज़ोर-ज़ोर‌ से,
सवाल है, महबूब मिरा, साथ मिरे यार के, खड़ा क्यूँ है!

ये कैसी लपटें उठी हैं कि, जल‌ रहा है जहां,
है बरसात, मगर, सीने में तपन क्यूँ है!

वो कहते हैं, सब ठीक है ख़बर यहाँ,
है सब ठीक वहाँ तो, मेरे शहर में ज़लज़ला क्यूँ है!

मुस्कुराकर मिल‌ रहे हैं वो, इक ज़माने के बाद,
आज भी वो बात-बात पर नज़र चुराते क्यूँ हैं!

नाकद्रों की टोली में इंसां बहुत हैं जनाब,
है ख़राब ज़माना, घर-घर में बेटियांँ क्यूँ है!

कई हैं जवाब, हर बात की बहुत लाजवाब,
है हज़ार विचार, मन‌ में इतने सवाल क्यूँ है!!

मन में इतने सवाल क्यूँ हैं...???

🍁🍁🍁

©Shweatnisha Singh🌸 🍁*ऐसा क्यूँ है...!!!*🍁

     वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे,
फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है!

  दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है,
  इन‌ ऊँची मिनारों में सन्नाटे क्यूँ हैं!

🍁*ऐसा क्यूँ है...!!!*🍁 वो‌ कहते हैं, इश्क़ है तुमसे, फ़िर ये दिलों के मकां बंज़र क्यूँ है! दर-ओ-दीवारों से यादें टपकती है, इन‌ ऊँची मिनारों में सन्नाटे क्यूँ हैं! #विचार #reasons #nojotohindiwriters #nojotoworld #soothingsouls #कुछतोकमीहै #shweatnisha_singh #ऐसा_क्यूँ_है #अनसुलझे_पहलू #souluntold