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मैंने अपना शोणित देकर स्वर गरिमाओं को पाला है मेरे

मैंने अपना शोणित देकर स्वर गरिमाओं को पाला है
मेरे अंदर ही समासीन युग अमृत है युग हाला है

नभ की बूँदों सा मैंने ही जन-जन के मन को सींचा है
फिर पुत्र पुत्रियों ने मेरे केशों को हर पल खींचा है

उस पर भी मैं न रुष्ट हुई क्षण-क्षण तुमको वरदान दिया
मेरे बच्चों ने ही आकर तुमको कितना है ज्ञान दिया

जो ज्ञान-पुञ्ज दीपित नभ में शत कोटि कंठ की भाषा है
मैं हिन्दी हूँ, मैं हिन्दी हूँ यह हिन्द मेरी परिभाषा है।। #हिंदी #वरदान #hindidiwas #mother #yqdidi #yqbabaquotes #kumarmridul
मैंने अपना शोणित देकर स्वर गरिमाओं को पाला है
मेरे अंदर ही समासीन युग अमृत है युग हाला है

नभ की बूँदों सा मैंने ही जन-जन के मन को सींचा है
फिर पुत्र पुत्रियों ने मेरे केशों को हर पल खींचा है

उस पर भी मैं न रुष्ट हुई क्षण-क्षण तुमको वरदान दिया
मेरे बच्चों ने ही आकर तुमको कितना है ज्ञान दिया

जो ज्ञान-पुञ्ज दीपित नभ में शत कोटि कंठ की भाषा है
मैं हिन्दी हूँ, मैं हिन्दी हूँ यह हिन्द मेरी परिभाषा है।। #हिंदी #वरदान #hindidiwas #mother #yqdidi #yqbabaquotes #kumarmridul