Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कागजं की कश्तीं में पानी भर गया। उम्मीदों में पानी नहीं फिरना चाहिए। छोटी बातों में मीठा रस चखना चाहिए। छोटी उम्मिदों की रोशनीं। जांदू की ख़ुशबू बिखेरती रहती है। बदल रहा है।अंदर कुछ मचल रहा है। सबब कुछ सवालों में उलझ रहा है कुछ। दिल के क़रीब से गुज़र रहा है कुछ। प्यार से लिखूंगी ।प्यार की बातों को। मां के लाड़ दुलार को संजोए सपनों को। वो मीठी चीनी की चाशंनी वाली बातों। को फिर से दोहराएंगे।आंगन में बैठकर। तेल मालिशं करेगें।लड़ झगड़ कर कोना। पकड़ लुगीं फिर। मां अपने हाथों से निकला । मक्खन आलूं के पराठें पर डाल ।अपने हाथों। से खिलाती है।फटकार में भी प्यार बरसती है। हां मां ऐसी ही होती है। रात को उठ उठ कर कम्बल। पहनाती है। हां मां ऐसी ही होती है। ख़ुद बेचैंन होकर। हमको चैंन से सुलाती है। सर पर हाथ फेर चुम्बंन दे जाती है। सर्द रातों की गर्मीं दे जाती है मां। मां बहुत याद आती है मां। हां मां एसी ही होती है । मां एसी ही होती है। #mother #relationship #bond #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat कागजं की कश्तीं में पानी भर गया। उम्मीदों में पानी नहीं फिरना चाहिए। छोटी बातों में मीठा रस चखना चाहिए। छोटी उम्मिदों की रोशनीं। जांदू की ख़ुशबू बिखेरती रहती है।