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पल्लव की डायरी पथ पथरीले राह में कांटे चुभते है गम

पल्लव की डायरी
पथ पथरीले राह में कांटे चुभते है
गमो के बादल रोज सिर धुनते है
चलना कहाँ है मन सवाल करते है
मतबाली हो ग़यी है जिंदगी
पेटो को भरने के लिये हमेशा झकझोरती है
थम जाते है पैर बहार के माहौल से रोकते है
चलते चलते चल ना बसे
इसलिये कदम घरो में रोकते है
                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Twowords 
चलते चलते चल ना बसे
#Twowords
पल्लव की डायरी
पथ पथरीले राह में कांटे चुभते है
गमो के बादल रोज सिर धुनते है
चलना कहाँ है मन सवाल करते है
मतबाली हो ग़यी है जिंदगी
पेटो को भरने के लिये हमेशा झकझोरती है
थम जाते है पैर बहार के माहौल से रोकते है
चलते चलते चल ना बसे
इसलिये कदम घरो में रोकते है
                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव" #Twowords 
चलते चलते चल ना बसे
#Twowords

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