उछल कर पकड़ ली होगी कलाई उसकी ओर फिर झटके से छोड़ी होगी,,जमी पर बिखरे है स्वेत लहू के कतरे,छोड़ने से पहले बेदर्दी से मरोड़ी होगी,, बडी मुरझाई सी डाली है सारे गुलशन की किसी ने फिर कोई कच्ची कली तोड़ी होगी ©sasisya vidrohi मेरी डायरी से _3