हार से भी हारकर, न बैठ मन को मारकर। है वक़्त इम्तिहान का, इसे तू आज पार कर।। तू आज रुक गया अगर,तो अंत हो गया सफर। बता तेरी है क्या कदर?, बता तेरी है क्या कदर? तू एक लक्ष्य ठान ले, तू बात खुद की मान ले । रुका तनिक न तू अगर , तो हो गया है तू अमर। अमर्त्य वीर पुत्र है, तू शक्ति का संधान कर। एक कर उठा खड़ग, दूजे कर कमान धर।। न सूक्ष्म कोई कर्म है, ये जिंदगी का मर्म है। तू चल रहा है किसतरह,ये जिंदगी है एक सफर। तू जिंदगी से रूठ कर, ना हार ऐसे टूटकर । है जिंदगी बहुत बड़ी, ये तो था उसका एक पहर। ये जग कहे भला बुरा, इसे तू आज शांत कर। शौर्य निज दिखा इन्हें, तू आज मौन त्यागकर।। हार से भी हारकर, न बैठ मन को मारकर। है वक़्त इम्तिहान का, इसे तू आज पार कर।। इसे तू आज पार कर।, इसे तू आज पार कर।। ★© हरिशंकर शुक्ल 'हरि'★ न बैठ मन को मार कर