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अपनी मर्ज़ी,अपनी करनी,खूब हंसना-खिलखिलाना ज़िंदगी अप

अपनी मर्ज़ी,अपनी करनी,खूब हंसना-खिलखिलाना
ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीना इश्क़ से पहले...!




उसकी मर्ज़ी,उसकी चाहत,हंसाना-रुलाना उसके हाथ
ज़िंदगी बस किसी 'ख़ास' के नाम,इश्क़ के बाद...! Challenge-165 #collabwithकोराकाग़ज़ 

आज फिर आपको दो विषय दिए जा रहे हैं कोलाब करने के लिए। तो बताइए समूह को कि इश्क़ से पहले और इश्क़ के बाद क्या होता है।

दोनों विषय एक लेखक भी लिख सकता है या फिर एक विषय पर लिखकर दूसरे लेखक को आमंत्रित कर सकता है।

कोई शब्द सीमा नहीं है और जितने चाहो कोलाब कीजिए और जितनी चाहो काॅमेंट। परन्तु जितने कोलाब उतनी काॅमेंट। (Font=Eczar=13)
अपनी मर्ज़ी,अपनी करनी,खूब हंसना-खिलखिलाना
ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीना इश्क़ से पहले...!




उसकी मर्ज़ी,उसकी चाहत,हंसाना-रुलाना उसके हाथ
ज़िंदगी बस किसी 'ख़ास' के नाम,इश्क़ के बाद...! Challenge-165 #collabwithकोराकाग़ज़ 

आज फिर आपको दो विषय दिए जा रहे हैं कोलाब करने के लिए। तो बताइए समूह को कि इश्क़ से पहले और इश्क़ के बाद क्या होता है।

दोनों विषय एक लेखक भी लिख सकता है या फिर एक विषय पर लिखकर दूसरे लेखक को आमंत्रित कर सकता है।

कोई शब्द सीमा नहीं है और जितने चाहो कोलाब कीजिए और जितनी चाहो काॅमेंट। परन्तु जितने कोलाब उतनी काॅमेंट। (Font=Eczar=13)