पाप और पुण्य ( चिंतन) ******************* अनुशीर्षक में पढ़ें 👇👇👇👇👇👇👇 5/30 16.04.2021 पाप और पुण्य ***************** परिभाषा: वैसे तो पाप और पुण्य की कोई परिभाषा नहीं है परंतु ग्रंथों और कर्मों से देखा जाए तो आप और हम में दोनों को परिभाषा में डाल दिया गया हैं। परोपकार करने से पुण्य और परपीडन से पाप मिलता है। पुण्य का पुरस्कार सुख है और पाप का दु:ख। मनुष्य भावनायुक्त प्राणी है। भावना के बिना वह कर्म नहीं कर सकता है। वह चाहे अच्छा कर्म करे या बुरा कर्म। हमारे शास्त्र मनुष्य से अपेक्षा करते हैं कि वे वासना और स्वार्थ से ऊपर उठकर कर्तव्य भावना से प्रेरित होकर कर्म करें।