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ये खामोशियाँ ये बेचैनियां, मुझे उदासी के दलदल में

 ये खामोशियाँ ये बेचैनियां,
मुझे उदासी के दलदल में डुबाती जा रही हैं..!

मैं खो रहा हूँ वजूद खुद का,
न चाहते हुए भी बहकाती जा रही है..!

इंतज़ार किसी के आने का है और,
भ्रम की स्थिति दहकाती जा रही हैं..!

छिप गया है औट में भाग्य,
दुर्भाग्य की इस कदर..!

खुद को ही खुद का,
दुश्मन ठहराती जा रही है..!

सवेरे की तलाश में चले थे और,
ये रात गहराती जा रही है..!

मार्गदर्शन मिला न किसी से,
न ही मिला साथ किसी का..!

खामोशियाँ दिन-ब-दिन
बस यूँ ही रुलाती जा रही हैं..!

©SHIVA KANT
  #Khamoshiyan❤

Khamoshiyan❤ #Poetry

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