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हर तरफ़ एक चाद़र-सी छायी रहती है, तन-बदन में ठिठुरन

हर तरफ़ एक चाद़र-सी छायी रहती है,
तन-बदन में ठिठुरन सी आयी रहती है,
सुबह शाम जहाँ पहरा रहता है सितमग़र सर्दी का,
दोपहर हमारी अभी भी गरमायी रहती है...!!

©Varun Raj Dhalotra
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