मोहब्बत ऐसा जहर है जो जीने नहीं देता जिंदगी पर ऐसा कहर है जो घावों को सीने नहीं देता। कुछ कसर बाकी रह जाए गर जख्मों को सहने में तो दर्द-ए-दिल का मर्म उन्हें सहने नहीं देता।। मोहब्बत मुकद्दर