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ज़िंदगी की राहें, क्यों फिर कर निगाहें, ना जाने क्

ज़िंदगी की राहें, क्यों फिर कर निगाहें,
ना जाने क्यों, ऐसे मोड़ बदल लेती हैं।

तय था पहले से कहीं जाना, मोड़कर 
रुख दिशा का, कहीं और चल देती हैं।

©Anuj Ray
   # ज़िंदगी की राहें,
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Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
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# ज़िंदगी की राहें, #कविता

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