ये जो हल्की सी तिरी इक मुस्कान है, तिरी इसी अदा पे मेरी जाँ क़ुरबान है, फँसी है मिरी जान पस ए रुख़सार पे छुपाया जो तूने तिल का निशान है। ये जो हल्की