बूँदों का बेख़ौफ़ गिरना तुम्हें आज भी आज़ाद करता है और मुझे बाँध देता है तुम्हारी यादों से, वो तुम्हारा बच्चों की तरह दौड़ कर भींगना और ठंड लगने पर कांपना फिर भी भींगते जाना भला हो इन बादलों का इनके गरजने पर मुझसे तुम्हारा यूँ लिपटना और बादलों के गर्जन से मेरी यादों का फिर से बिखर जाना लगना जैसे कल की ही तो बात है आज एक बार फिर से मेरे शहर में बरसात है। बूँदों का बेख़ौफ़ गिरना तुम्हें आज भी आज़ाद करता है और मुझे बाँध देता है तुम्हारी यादों से वो तुम्हारा बच्चों की तरह दौड़ कर भींगना और ठंड लगने पर कांपना