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किसी के हो नही पाते लिपट तकिए से रोते हैं। नहीं जो

किसी के हो नही पाते लिपट तकिए से रोते हैं।
नहीं जो क़द्र करते हैं हरिक रिश्ते को खोते हैं।।
अंधेरे घेर लेते हैं उन्हें गफ़लत के ए मुस्कान,
जो एटीट्यूड रखते हैं वो बस तन्हाई ढोते हैं।। एटीट्यूड
किसी के हो नही पाते लिपट तकिए से रोते हैं।
नहीं जो क़द्र करते हैं हरिक रिश्ते को खोते हैं।।
अंधेरे घेर लेते हैं उन्हें गफ़लत के ए मुस्कान,
जो एटीट्यूड रखते हैं वो बस तन्हाई ढोते हैं।। एटीट्यूड