#OpenPoetry इसके उसके ,किस किस के अफ़साने रोते रहते हैं, जाने कितने दर्द मेरे सिरहाने रोते रहते हैं। दिखने वाले चेहरों की तुम हँसी-ख़ुशी पर मत जाओ, हंसते-गाते महलों के तहख़ाने रोते रहते हैं। ख़ालीपन का मुझमें तो अहसास सुलगता रहता है, मयख़ानों में भरे हुए पैमाने रोते रहते हैं। उसकी हंसी में जाने कितने राज़ छिपे होंगे यारो, जिसकी हँसी में जंगल के वीराने रोते रहते हैं। अपना दर्द छिपाना भी आसान कहाँ पर होता है, हंसते दिखते हैं लेकिन दीवाने रोते रहते हैं। कभी-कभी तो ग़म की घड़ी में हो जाता है ऐसा भी, अपने चुप हो जाते हैं बेगाने रोते रहते हैं। बढ़ता रहता हूँ मैं हरदम उंगली और अँगूठे से, मैं हूँ वो तस्बीह के जिसyके दाने रोते रहते हैं। #OpenPoetry #pourushi #love #life #nojoto #quote #poetry