वो जो बेचते थे जो दवा-ए-दिल, वो दुकान अपनी बढ़ा गए.! हम मरीज़ थे इश्क़ के जख्मों का, बेगुनाह दर्द से तड़पते रहे..!! ©Ajay ©Khamosh Zindagi वो जो बेचते थे जो #दवा-ए-दिल, वो #दुकान अपनी बढ़ा गए.! #हम #मरीज़ थे #इश्क़ के जख्मों का, #बेगुनाह #दर्द से तड़पते रहे..!! ©Ajay #Pain #innocent #Love अल्फ़ाज़