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टूट रहे रूठ रहे घरौनों पर,जज्बात का हर मरहम लगा दो

टूट रहे रूठ रहे घरौनों पर,जज्बात का हर मरहम लगा दो,
भेद मे रहा है कितना भी तुमपर,स्नेह मे उसे हर मुक्कमल करा दो, 

तिमिर घन घोर है नही कोई,उज्जवल हर उजाला होगा,
दरमियान में भंवर मत बनो,वो किनारा हुआ निराला होगा,
                                                 -Sp"रूपचन्द्र"

©Sp"रूपचन्द्र"✍ #Helps
टूट रहे रूठ रहे घरौनों पर,जज्बात का हर मरहम लगा दो,
भेद मे रहा है कितना भी तुमपर,स्नेह मे उसे हर मुक्कमल करा दो, 

तिमिर घन घोर है नही कोई,उज्जवल हर उजाला होगा,
दरमियान में भंवर मत बनो,वो किनारा हुआ निराला होगा,
                                                 -Sp"रूपचन्द्र"

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