ये शाम, ये नजारा, ये ढ़लती आफताब की मदहोशी, उथल-पुथल है मन में अजीब सी चेहरे में खामोशी..।। तेरे प्यार के नगमें गाता रहूं, तू लगे स्वर्ग से आयी उर्वशी सी, तान छेड़ी है मैने , जुल्फ़ लहरा रहीं तेरी, बनकर काली घटा सी..।। खिलते गुलाब सा है जो ये तेरा चेहरा, चहूँ ओर फैला रही हो, इ्श़्क की महक सी..।। ये तेरे होठों की सूरख लाली, लगे कश्मीर के केसर सी, ये अदा तेरी देख, मन बावंरा कहे, डोर बाँध लूं तुझसे सातो जन्मों की..।। ©शंकर दास #Love #motivate #शंकरदास #shankar_dass79 ये शाम, ये नजारा, ये ढ़लती आफताब की मदहोशी, उथल-पुथल है मन में अजीब सी चेहरे में खामोशी..।। तेरे प्यार के नगमें गाता रहूं, तू लगे स्वर्ग से आयी उर्वशी सी, तान छेड़ी है मैने ,