हर सक्स पर बरप रहा ठंड का प्रकोप, ताप रही है जिंदगियां अलाव पर झोप। चल रही शरद हवाएं,बढ़ा रही सिहरन, छा रहा है कोहरा,बढ़ा रहा है जकड़न। सूनी हो गई सड़के सारी,सूने है मैदान, चप्पे चप्पे पर दे रही ठंड अपना पहरा। आसमान से बरस रहा धुंधभरा कोहरा, ऊनी कम्बल स्वेटर टोपी का है,सहारा। #शरद रात#