रात की रोशनी भी क्या खूब है दिल में अरमान जगाती है महबूब से मिलने को तड़पाती है मिल जाए तो जिस्म में आग लगाती है ना मिले तो रातों को जगाती है तन्हा रातें काटे नहीं कटती उसकी मदहोश निगाहें भुलाए नहीं भूलती उसकी मोहब्बत रुसवा होकर भी मिटाए नहीं मिटती इस रोशनी का क्या करूं दिल को कैसे तनहाई में डूब जाने दूं यादों को समेट उस में ही खुश हो जाती हूं रातों को इस तरह काटने पर मजबूर हो जाती हूं ©_muskurahat_ #raj #poet #shares #nojoto #hindi #nojotopoem #roshani