जब देश कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, सब अपने घरों में क़ैद होकर रहने को और लोगों की मानसिकता में यह वर्ष जीवन जीने का वर्ष मात्र रह गया हो। ऐसे वक़्त में दिल्ली जैसी तथाकथित विकसित और बौद्धिक नगर में #बॉयजलॉकररूम वो भी नाबालिग उम्र में, सरेराह मधुशाला की दुकानों में चमगादड़ों के साथ ही पापा की परियों की पंक्तियां शोभा बढ़ाने को आतुर-सी दिखे तो लगता है न जाने परवरिश कैसी हो रही है और देश पर मिटने वाले वीर नाहक ही अपनी जान गवाँ रहे हैं वो भी इन जैसी पीढ़ियों के लिए जिन्हें ख़ुद के जीवन का मोल ही नहीं और उस माँ रूप बेटी के तस्वीरों के माध्यम से हर रोज़ अपनी वहशी आँखों और ख़्यालों से बलात्कार कर रहे हैं मानो वो कभी किसी बेटी के बाप ही न बनेंगे। हे मेरे मौला ऐसी मानसिकता और लोगों को सद्बुद्धि दे ताकि ये जीवन के 'यथार्थ सत्य' को जान सकें क्योंकि जीवन की ख़ूबसूरती सत्कर्म के माध्यम से अर्जित उपागमों का परिणाम होती है न कि केवल इंद्रिय सुख की कामेच्छा। ©जीत #lockdown3 जीत की विवश कलम ✍️ से... #दिल_की_बात #lockdown3 #thoughtoftheday #१२.१ #०६/०५/२०२०