चाहतों के अशियाने की चाह, हम भी करते हैं। जो गुनाह है इश्क़, फिर गुनाह सही, अब कुबूल ये गुनाह, हम भी करते हैं। -रूद्र प्रताप सिंह हम भी करते हैं।