मेरी आंखों में बसी सूरत-ए-यार है,,, लोग यूँ ही नहीं कहते इनमें कुछ अलग बात है.... ले अंख्खा रख ले गिरवी दीवानी है ये तेरी चुरा कर तुझसे नज़रें तुझे देखा करेंगी ये क्या दीवानगी है क्यूँ मेरा दिल शोर पाये ये क्या मुझको हुआ है क्यूँ उत्थे दिल छोड़ आये