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'फागुन-गीत' आओ सखी हम गाएँ फाग आओ सखी हम गाएँ फा

'फागुन-गीत'

आओ सखी हम गाएँ फाग
 आओ सखी हम गाएँ फाग
 बहे सुवासित प्रेम समीरा
तन भी रंगीला मन भी रंगीला--2
ज्यों रंगों से भरा पलाश
 आओ सखी हम गाएँ फाग
कैसे भूलूँ जिस पर उस छवि को मैं
 जिस पर करती हूँ कविता मैं
उसकी मुरली की धुन छेड़े,
 छेड़े है बस प्रेम का राग
आओ सखी हम गाएँ फाग
 नटवर नागर, नंद दुलारे
 रूप सलोना नैन कजरारे
 चंचल स्मित करती विस्मित
 राधा का है उससे अनुराग
आओ सखी हम गाएँ फाग
आओ सखी हम गाएँ फाग ||
स्वरचित

©स्मृति.... Monika
  फागुन गीत
#गोविन्द राधे

फागुन गीत #गोविन्द राधे #Poetry

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