अंधेरी रात ‘बलात्कार: समाज का कड़वा सत्य’ अंधेरी रात चल पड़ी थी वो अंधेरे से रास्ते पर , मन में डर का एक वीराना सा डर भर, सिसकियों से भर चुका था, सहमा हुआ ये दिल उसका, पलट उसने देख लिया था, हब्शियों का एक झुंड ।।