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यूं मायूस होकर बेठता है क्यों मंजिल हाथ नहीं तो घ

यूं मायूस होकर बेठता है क्यों 
मंजिल हाथ नहीं तो घबराता है क्यों 
मंजर को हाथ लगा मुश्किलों से घबराता है क्यों 
ढफी चलता जा यूँ मायूस होकर बेठता है क्यों।

©kanta kumawat
  यूं मायूस होकर बेठता है क्यों 
मंजिल हाथ नहीं तो घबराता है क्यों 
मंजर को हाथ लगा मुश्किलों से घबराता है क्यों 
ढफी चलता जा यूँ मायूस होकर बेठता है क्यों।

यूं मायूस होकर बेठता है क्यों मंजिल हाथ नहीं तो घबराता है क्यों मंजर को हाथ लगा मुश्किलों से घबराता है क्यों ढफी चलता जा यूँ मायूस होकर बेठता है क्यों। #विचार

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