डरता था मैं मोहब्बत से कहीं बर्बाद न होजाऊं पर जबसे जाना है तुमको लगता है शायद आबाद मैं होजाऊं ना मैं ठहरा शाजहाँ x2 की तेरी मोहब्बत में ताज बनाऊं पर याद करे मेरे नाम से तुझको शायद मोहब्बत में कुछ ऐसा कर जाऊं प्यार का तो पता नहीं x 2 पर तुम नज़रअंदाज़ न करो तो काफी है यूं तो है हर ख़ुशी इस जहां की मेरे पास बस तेरा ही आना बाकी है ©दीपक पंडित #बस_तेरा_आना_बाकी_है1