यह महफिल मे क्या हंगामा हुआ, तेरी झुकी नज़र मे परवानो का दिल-ए-आशियाना भी मयखाना हुआ, अभी तो नही उठी है गज़ल मे साज़ की चिंगारियां, गौरतलब हर शक्स तेरी आवाज़ का दिवाना हुआ, नियाज़-ए-इश्क मे ख़ता किसकी है तेरी दीद मे यहां हर कोई ग़ालिब हुआ, तेरे चाहने वालों के बीच अब होगी अदावत-ए-गूफ्तगू, कि कौन तेरा शहज़ादा हुआ। ♥️ Challenge-984 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।