तवायफ़ लोग है कहते, जिसम जो बेचती अपना, किसी ने क्या ही जाना, वो हुई मजबूर थी कैसे। अगली बार उसे तवायफ़ कहने के पहले सौ दफ़ा सोचना। क्या पता उसकी रूह तुमसे भी कहीं ज़्यादा पाक हो। *एक शेर नज़र कर रहा हूँ ज़माने की मानसिकता पर। इकराश़ *जिसम - जिस्म / शरीर