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स्याही ज़िन्दगी के पन्नों पर कल्पना की क़लम ख्

स्याही 

ज़िन्दगी के पन्नों पर 
कल्पना की क़लम 
ख्वाबों की स्याही में 
डुबो कर 
सुनहरी भविष्य की लकीरें 
खींचा करता हूं ,
पर वक्त 
बवंडर बनकर 
अक्सर मिटा देता है । 

और मैं 
फिर से 
थामता हूं क़लम 
ढूंढता हूं स्याही 
जो मिट ना सके ,,,। 

___@ राजेश्वर सिंह 'राजू'
          जम्मू

©RAJESHWAR SINGH RAJU
  स्याही

स्याही #कविता

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