उम्र-ए-दराज़ मांग कर लाये थे चार दिन, दो आरज़ू में कट गए दो इंतेज़ार में। -------------------- "ज़फर" आदमी उसको न जानिएगा वो हो कैसा ही साहब-ए-फ़हम-ओ-ज़का, जिसे ऐश में याद-ए-ख़ुदा न रही जिसे तैश में ख़ौफ़-ए-ख़ुदा न रहा। ~Bahadur Shah Zafar The last Mughal Emperor #BirthAnniversery . ©~Hilal. Follow Me for best shayri of your life #Bahadur #bahadurshahzafar