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हेलो दोस्तों कैसे हो  तो आज में आपसे एक ऐसी लव स्ट

हेलो दोस्तों कैसे हो 
तो आज में आपसे एक ऐसी लव स्टोरी सुनाने जा रहा हु जो एक दम सच्ची है मेरा मतलब है की यह मेरी खुद की सच्ची लव स्टोरी है | तो दोस्तों बात आज सा करीब दस साल पहले की है जब मैंने बाहरवीं पास कर ली थी 2012 में और अब में आगे की पढाई कॉलेज में नॉन रेगुलर करना चाहता था क्युकी में मिडिल क्लास फॅमिली से हु और आपको पता ही है की मिडिल क्लास लोगो की लाइफ कैसी होती है ऐसा नहीं था की में पढाई में ाचा नहीं था मैंने इंग्लिश लिटरेचर से बाहरवीं पास की थी और आगे फाइनल भी इंग्लिश से ही की थीपर मेरे को उस टाइम पैसे कमाने का बोल सकते हो या कुछ और पर मैंने घरवालों को साफ़ साफ़ बोल दिया की अब मेरे को कुछ काम करना है तो घरवालों ने कहा की किया काम करेगा अभी तू बाकि टेंशन मत ले खाली अपनी पढाई पर ध्यान दे पर में नहीं माना | फिर आखिरकार घरवालों ने कह दिया की किया काम करेगा मैंने कहा की में अपनी खुद की कोई दूकान करूँगा | 

तो कहा कोई ना कर ले पर हम एक लाख से ज्यादा पैसे नहीं दे पाएंगे मैंने कहा नहीं एक लाख बहुत है | दोस्तों मेरा नाम विजय है और में राजस्थान के चूरू जिले से हु और मेरे घर में मम्मी पापा और हम तीन भाई और एक बहन है में दोनों भाइयो से छोटा और बहन से बड़ा हु छोटा होने की कारन सबका लाडला भी हु ! फिर मैंने आस पास पता किया की आज के टाइम के हिसाब से और मेरे बजट के हिसाब से किया काम सही रहेगा दोस्तों आपको पता ही होगा की उस टाइम 2012 में मेमोरी डौन्लोडिंग और चाइना के मोबाइल जो बहुत चलते थी तो मैंने सोचा की यह काम सही रहेगा और इसमें ज्यादा इन्वेस्टमेंट की भी जरुरत भी नहीं पड़ेगी फिर मैंने अपने घर से थोड़े दूर शहेर पड़ता है यही 4/5 किलोमीटर वाहां पर एक दुकान 1500 रुपया महीने के किराए पर ले ली अब मैंने उसमे कलर करवाया एक में और एक मेरा दोस्त दोनों ने मिलके दूकान में कलर किया फिर उसमे हमने लाइट फिटिंग करवाई अब मुझे फर्नीचर की जरुरत थी अगर नया करवाता तो बहुत महँगा पड़ता जो उस टाइम मेरे लिए मुश्किल था ऐसे ही कुछ दिन देखने के बाद मेरे एक रिलेटिव ने बताया की एक जगहे पुराना फर्नीचर है उसको ले लेते है फिर हमने जाके देखा और हमको पसंद आ गया और हमने वो खरीद लिया और हम उसको टैक्सी में डाल के दूकान पर ले आये फिर मेरे रिलेटिव जो भाई लगता था मेरे उसने कहा की में इसको रिपेयर कर दूंगा तो एक दम नया जैसा हो जाएगा तो मैंने कहा ओके फिर अगले दिन से में और वो दोनों मिलके काम सुरु कर दिया | जहा मैंने दूकान ली थी दूकान मालिक का घर भी वही पीछे था आगे दूकान मार्किट और पीछे घर उसके चार लड़किया थी तीन की शादी हो चुकी थी सबसे छोटी वाली की नहीं हुई थी उसकी उस टाइम वो करीब करीब 17 साल की थी देखने में बड़ी मासूम और बहुत ही खूबसूरत थी और दो भाई थी उसके एक छोटा था सबसे एक बड़ा था ! में देखने में ठीक ठाक था उस टाइम में महेंद्र सिंह धोनी की तरह लम्बे बाल रखता था और हाईट भी लम्भी है मेरी और वेट हिसाब का ना ज्यादा ना कम और रंग गोरा | तो हमने काम सुरु कर दिया तो उस दिन पहली बार कोई काम से पीछे दूकान मालिक के घर में गया था तो मैंने उस लड़की को पहली बार देखा था पर मैंने ज्यादा नोटिस नहीं किया और में अपना सामान लेके वापस आ गया और इस तरह हमको 5/6 दिन लगे पूरा फर्नीचर करने में इन दिनों में पूरा दिन काम की वजे से मेरे कपडे गंदे रहते थे! सांयकाल के समय वो सभी लोग आगे मार्किट के पास बड़ा हॉल था उसके आगे बैठ जाते थी उसकी माँ बहने और वो उसका छोटा भाई और उसकी बहेनो के बचे ! पर अभी तक ना उसने ना मैंने एक दूसरे को नोटिस नहीं किया था ! फिर फर्नीचर का काम पूरा होने के बाद में और एक मेरा दोस्त दोनों दिल्ली गए और वह से दूकान का सामान लेके आये कुछ मोबाइल , कुछ टच चाइना मोबाइल कुछ कीपैड मोबाइल , बाकी मेमोरी कार्ड , मोबाइल चार्जर , एयरफ़ोन , मोबाइल चार्जिंग पिन , कुछ मोबाइल रिपेयर का सामान,थोड़ा थोड़ा मोबाइल रिलेटेड सारा सामन लेके आये ,कम्प्यूटर मेरे पास पहले से ही था

इस तरह मैंने सारा सेटअप कर लिया दूकान का अपने बजट के हिसाब से साथ में मोबाइल रिचार्ज भी करता था अब 2 दिन बाद दूकान की ओपनिंग थी मैंने दूकान की ओपनिंग का प्रोग्राम ज्यादा बड़ा नहीं रखा अपने फॅमिली मेंबर्स कुछ ख़ास रिलेटिव और कुछ दूकान के आस पास के दूकानवालो को बुलाया था  ! आज मेरी दूकान की ओपनिंग थी में सुबह जल्दी उठा वैसे में जल्दी नहीं उठता था पर उस दिन अलग ही खुसी थी दूकान ओपनिंग की सारी रात सो नहीं पाया था सुबह करीब 7 बजे में रेडी होकर के दूकान आ गया दोनों भाई भी मेरे साथ आये थे उस दिन मैंने सफेद रंग का शर्ट और उस टाइम कार्गो जीन्स का बहुत ट्रेंड था वो ब्राउन रंग की कार्गो जीन्स पहनी थी और क्लीन सेव और लम्बे बाल जिसको कल मैंने कलर करवाया था बहुत ही बढ़िया लग रहा था और वाइट जुते पहने थे ! दूकान आने के बाद हमने जो भी जरुरत थी उस हिसाब से सामान तयार किया 10 बजे का महूरत था फिर थोड़ी देर में मेरे दोस्त और कुछ रिस्तेदार भी आ गए हमने दूकान के बहार महमानो के लिए खुर्सिया लगवाई और सब तयारी कर ली फिर पंडित जी भी आ गए और भी मेहमान भी आ गए उसके बाद पंडित जी ने पूजा की और बाकी जो भी होता है महूरत में वो किया सारा काम होने के बाद हमने आये हुवे महमानो को  चाय नास्ता करवाया और फिर धीरे धीरे वो सब चले गए अब में अकेला ही था और कंप्यूटर में एक मेमोरी कार्ड था उसको अपलोड कर रहा था तभी वो लड़की आई दूकान मालिक की सबसे छोटी वाली जो बहुत ही मासूम और खूबसूरत थी जिसका नाम अवंतिका था वो आई और बोली की मेरे मम्मी वाले मोबाइल में 50 रुपया का रिचार्ज कर दो मैंने कहा हां करता हु नंबर बताओ उसने नंबर बताये और फिर वो जाते टाइम मेरी तरफ देख के एक स्माइल की और चली गई में फिर अपने काम में लग गया फिर इस तरह सांयकाल का समय हुवा तो वो हमेशा की तरह बहार जो मार्किट के पास बना हुवा था उसके आगे आ गए क्युकी ! उसके पिताजी जो थोड़े सख्त सवभाव के थे जिससे उनसे सब डरते थे वो सांयकाल के समय हमेशा अपने गांव वाले घर जो वह से 2 किलोमीटर की दुरी पर था वहा जाते थे वहा वो उनकी कुछ गाये थी उनका दूध और उनको चारा डालने जाते थे एक लड़का भी रखा हुवा था जो हर वक़्त वही रहता था और गायो की देखभाल करता था बाकी सुबह साम दुकान मालिक ( अंकल जी ) जाते थे . तो वो सब वहा बैठे थे और मेरी दूकान भी उस हॉल से चिपका के थी इसलिए वो सब मेरी दूकान के गेट के ठीक आगे की तरफ बैठे थे इस कारन से वो सब मुझे अछि तरह से दिख रहे थे और उनको में वो लड़की अवंतिका बार बार मेरी तरफ देख रही थी और कई बार में भी फिर मेरा अंकल जी लड़का मोहित जो मेरा भाई और जिगरी दोस्त भी था और वही पास में एक फैक्ट्री में काम करता था वो वहा आ गया क्युकी वो सुबह मेरे साथ ही आता था और रात को मेरे साथ ही चलता था ! फिर हम दोनों भाई बाते करने लगे दिनभर कैसी रही आज दुकानदारी और भी बहुत सी बाते फिर मैंने उसको कहा की जा आगे की होटल से अछि सी चाय ले आ आज सुबह ओपनिंग के बाद से पी नहीं क्युकी अकेला था दूकान पर और चाय की होटल थोड़ी दुरी पर थी इसलिए जा नहीं पाया तो उसने कहा ठीक है लाता हु फिर वो गया वो चाय ले आया फिर उसने चाय एक मेरे को दी एक खुद ली पर एक चाय बच गई तो उसने कहा इसका किया करे तू डबल लेगा किया मैंने कहा नहीं में एक ही लूंगा तू पी ले या किसी को दे दे उसने कहा आंटी जी ( अवंतिका की मम्मी ) को दे देता हु मैंने कहा हां ठीक है दे दे तो उसने चाय का कप लेके आंटी जी को बोला की लो चाय पी लो तो उन्होंने कहा नहीं आप पियो हमने अभी पी है तो मोहित ने कहा की हमने ले ली है यह ज्यादा हो गई है इसलिए आप पी लो तो उन्होंने ले ली और वो लोग और मोहित बाते करने लग गए ! में दूकान के अंदर ही था कंप्यूटर में कुछ करने लगा और अवंतिका ठीक मेरी तरफ मुँह करके बैठी थी और बार बार मेरी तरफ देख रही थी और अब में भी उससे नजर मिलाने लगा था इस तरह काफी टाइम बीत गया करीब करीब रात के 9:30 बज गए थी तो वो लोग उठ गए और पीछे चले गए और मोहित दूकान के अंदर आ गया और बोला की विजय चले घर मैंने कहा हां चलो फिर हमने दुकान मंगल की और घर चले गए ! फिर घर जाने के बाद मम्मी पापा ने पूछा कैसा रहा आज का दिन मैंने कहा ठीक रहा आज तो पहला दिन था फिर भी ठीक ही रहा फिर मम्मी खाना ले आई और खाना खाते खाते हम बाते करने लगे दुकान की ओपिनिंग में कोन कोन आया और किया हुवा सब उसके बाद में अपने रूम में सोने चला गया और बाकी सब भी सो गए ! सोने के बाद में अवंतिका के बारे में सोचने लगा की किया सच मच वो मुझे पसंद करती है या ऐसे ही देख रही थी इस तरह सोचते सोचते मुझे नींद आ गई | 
सुबह जल्दी 6 बजे मम्मी ने आवाज दी की विजय बेटा उठ जा दूकान जाना है ना तो में उठ गया और फिर में चाय पीकर के दूकान के लिए रेडी होने लगा और 8 बजे में दूकान के लिए निकल गया और आगे से मोहित को भी साथ ले लिया मोहित का घर मेरे घर से थोड़ा आगे है सिटी की तरफ फिर हम दोनों दूकान आ गए ! दूकान आते ही मैंने देखा वो सब हॉल के आगे बैठे थे में जाके अपनी दूकान को ओपन किया फिर जारु लगाया और अगरबत्ती की इसके बाद मोहित बोला में जा रहा हु फैक्ट्री साम को मिलते है मैंने कहा ठीक है और फिर वो चला गया और मैंने उधर देखा तो वो अवंतिका मेरी तरफ ही देख रही थी और हलकी हलकी स्माइल कर रही थी तो मेरा भी मन किया की वापस उसको स्माइल करू पर फिर सोचा नहीं नहीं और थोड़ा शर्मा भी गया था में उसके बाद वो पीछे की तरफ चली गई थी क्युकी उसके पापा के आने का टाइम हो गया था ! अब में ज्यादा कुछ नहीं सोचते हुवे अपने काम में लग गया और पूरा दिन निकल गया साम को वही हमेशा की तरह वो सब आगे आ गए और मोहित भी आ गया था ! उसने थोड़ी देर मुझसे बाते की फिर बहार उनके पास चला गया और उनसे बाते करने लगा और अवंतिका कल की तरह ठीक मेरे सामने ही बैठी थी और बार बार मेरी तरफ देख रही थी और में भी उसको देख रहा था और कंप्यूटर में गाना चला रहा था जिसका वॉल्यूम इतना था की उन तक आराम से आवाज जा रही थी और गाना भी उस टाइम का फेमस लव रिलेटेड बार बार बदल रहा था में और वो काफी खुश लग रही थी और मन ही मन में भी बहुत खुश हो रहा था की इतनी खूबसूरत लड़की मेरे को इतना गौर से देख रही थी और स्माइल कर रही थी पर मेरी इतनी हिमत नहीं हो रही थी की उसको वापस स्माइल करू या कुछ इशारा करू इस तरह दूकान मंगल करने का टाइम हो गया था और वो भी पीछे की तरफ चले गए थे और हम भी दूकान मंगल करके घर की तरफ रवाना हो गए थे घर आके खाना खाके थोड़ी देर घरवालों से बाते करके सोने चला गया और अवंतिका के बारे में सोचने लगा था और काफी देर तक सोचता रहा और फिर नींद आ गई ! सुबह वही हमेशा की तरह इस तरह काफी दिन बीत गए वो मुझे देखती और में उसको इसके आगे दोनों ने कुछ नहीं किया ना उसने कुछ इशारा किया ना मैंने पर अब उसको देखना बहुत अच्छा लगता था घर आने के बाद यही सोचता की कब सुबह होगी कब अवंतिका को देखूंगा यही हाल उसका होगा मेरे हिसाब से वो भी यही सब सोचती होगी !

इस तरह काफी दिन ऐसा ही चलता रहा एक दिन हम लोग में और मोहित दुकान से घर आ रहे थे तो मोहित ने कहा की में तुमसे एक बात पुछु मैने कहा बोलो तो कहा की तेरा और अवंतिका का कुछ चल रहा है किया मैंने पहले तो कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है फिर मैंने वापस उससे पूछा तुजे ऐसा क्यों लगा तो कहा की में काफी दिनों से देख रहा हु वो हर टाइम तेरी और देखती है कई बार तेरे को भी देखा उसकी और देखते हुवे तो मैंने कहा हां यार देखती तो है और मुझे भी वो बहुत पसंद है पर अभी तक ना उसने कुछ बोला है ना मैंने तो उसने कहा मैंने कई बार तुम दोनों को एक दूसरे की और देखते हुवे देखा है इसलिए आज पूछा ! तो मैंने कहा तुजे किया लगता है किया करना चाइये तो उसने कहा की देख ज्यादा तो मुझे पता नहीं है बाकी लड़की अछी है हिमत करके बोल दे मैंने कहा नहीं नहीं पागल है किया उसने मना कर दिया या घर में किसी को बोल दिया तो किया होगा ! तब मोहित बोला की ऐसा कुछ नहीं होगा वो किसी को नहीं बोलेगी क्युकी वो खुद तेरे को पसंद करती है पर वो भी तेरी तरह कहने से शर्मा रही है ! 
मैंने कहा अभी कुछ नहीं मैने कहा बोलो तो कहा की तेरा और अवंतिका का कुछ चल रहा है किया मैंने पहले तो कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है फिर मैंने वापस उससे पूछा तुजे ऐसा क्यों लगा तो कहा की में काफी दिनों से देख रहा हु वो हर टाइम तेरी और देखती है कई बार तेरे को भी देखा उसकी और देखते हुवे तो मैंने कहा हां यार देखती तो है और मुझे भी वो बहुत पसंद है पर अभी तक ना उसने कुछ बोला है ना मैंने तो उसने कहा मैंने कई बार तुम दोनों को एक दूसरे की और देखते हुवे देखा है इसलिए आज पूछा ! तो मैंने कहा तुजे किया लगता है किया करना चाइये तो उसने कहा की देख ज्यादा तो मुझे पता नहीं है बाकी लड़की अछी है हिमत करके बोल दे मैंने कहा नहीं नहीं पागल है किया उसने मना कर दिया या घर में किसी को बोल दिया तो किया होगा ! तब मोहित बोला की ऐसा कुछ नहीं होगा वो किसी को नहीं बोलेगी क्युकी वो खुद तेरे को पसंद करती है पर वो भी तेरी तरह कहने से शर्मा रही है ! 
मैंने कहा अभी कुछ नहीं बोलूँगा देखते है किया होता है क्युकी में कोई भी जल्दबाजी करके कुछ गड़बड़ नहीं करना चाहाता था अब इसको मेरा डर बोलो या कुछ और पर मैंने फैसला कर लिया की अभी कुछ नहीं बोलूंगा फिर हम लोग घर चले गए ! पूरी रात नींद सही से नहीं आई अवंतिका के बारे में सोचता रहा अगले दिन सुबह उठ के दूकान के लिए चला गया आज मैंने सोचा की आज अवंतिका की और बिलकुल भी नहीं देखूंगा वो किया करती है इस तरह में दूकान जाते ही देखा की वो उसकी मम्मी एक बहन और छोटा भाई हॉल के आगे बैठे थे ! मोहित बाइक चला रहा था में पीछे बैठा था ! में बाइक से निचे उतर के सीधा दूकान का खोला और साफ़ सफाई की और अगरबत्ती करके मोहित को बोला की में एक मोबाइल आया हुवा है उसको ठीक करता हु तू यही बैठा है कुछ देर तब तक में इस मोबाइल को ठीक कर लेता हु क्युकी सुबह सुबह वह पर मोबाइल रिचार्ज वाले काफी आते थे तो मोहित उनके रिचार्ज करने लगा और में दूकान में पीछे की तरफ मोबाइल रिपेयर का केबिन बना हुवा था वहा पर मोबाइल ठीक करने लगा  ! आज मैंने एक बार भी अवंतिका की तरफ नहीं देखा और अंदर से बहुत बुरा भी लग रहा था मन कर रहा था की एक बार देख लू क्युकी वो भी सुबह से इंतज़ार कर रही होगी ! पर फिर सोचा नहीं आज नहीं किया पता वो कुछ कह दे इस तरह करने के बाद ! में काम में लग गया थोड़ी देर बाद मोहित बोला की विजय में अब जा रहा हु मेरा फैक्ट्री जाने का टाइम हो गया है मैंने कहा ठीक जाओ और वो चला गया फिर मैंने आगे जाके देखा 

तो वो सब भी अंदर चले गए थे ! उस दिन में यही सोचता रहा अब आगे किया होगा किया वो कुछ बोलेगी या आज के बाद मेरी तरफ देखा भी नहीं तो नाराज हो गई तो यही सब दिमाग में चलता रहा उस दिन काम में ठीक से मन नहीं लग रहा था ! इस तरह पूरा दिन निकल गया साम का टाइम हुवा वो हमेशा की तरह ही आगे हॉल के आगे आके बैठ गए और में अपनी दूकान में ही था ! मैंने धीरे से देखा तो वो हमेशा की जगहे पर ही बैठी थी उसके बाद मैंने वापस उधर नहीं देखा फिर मोहित आ गया और हम दोनों दूकान के अंदर ही बैठ गए और बाते करने लगे फिर एक दो मेरे दोस्त भी आ गए उनको मोबाइल लेना था तो उनको नया मोबाइल दिया और फिर मोहित जाके हम सबके लिए चाय लेके आया और काफी देर तक वो और में बाते करते रहे इन सब में मैंने एक बार भी अवंतिका की और नहीं देखा अब वो किया सोचती होगी या उसने भी नहीं देखा नराज हुई यह सब मेरे मन में चल रहा था फिर वो लोग मोबाइल लेके चले गए फिर मोहित बोला चले आज काफी लेट हो गए है हमारे यहाँ रात को मार्किट जल्दी बंद हो जाता है मेरे पास वाले दुकानदार तो 8 बजे ही चले जाते थे में 9:30 बजे तक रुकता था ! तो मैंने कहा हां चलो बातो बातो में आज 10:30 हो गए है चलते है फिर मैंने हॉल की तरफ देखा वह कोई नहीं था वो सब पीछे घर में जा चुके थे ! फिर हमने दूकान मंगल की और घर की तरफ रवाना हो गए रास्ते में मोहित ने पूछा आज तू उदास कैसे किया हुवा मैंने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही फिर उसने कहा ठीक है यह बता किया हुवा आज अवंतिका से बात कुछ आगे बड़ी मैंने कहा नहीं यार कुछ नहीं पर आज मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं तो मोहित बोला क्यों किया हुवा मैंने कहा ऐसे ही में देखना चाहाता हु की ऐसा करने से सायद वो कुछ बोल दे तो उसने कहा मुश्किल है लड़किया पहले कुछ नहीं बोलेगी बोलना तेरे को ही पड़ेगा ! ऐसे ही बाते करते करते हम घर आ गए और में खाना खाके सो गया और मन बहुत दुखी था की अब आगे किया होगा वो नाराज हो गई तो कल आगे नहीं आई तो यह सब सोचता रहा और फिर सो गया पर ठीक से नींद नहीं आई अगले दिन कोई काम हो गया इसलिए दूकान नहीं जा पाया और पुरे दिन काम में रहा तो रात को जल्दी सो गया |

अगले दिन सुबह में जल्दी उठ गया था क्युकी मैंने दो दिन से अवंतिका को नहीं देखा था इसलिए जल्दी से उसको देखना चाहाता था जल्दी उठ के चाय पी फिर नाहा के रेडी हो गया 7:30 बजे ही फिर मम्मी ने खाना बनाया टिफन पैक करवा के रवाना हो गया और मोहित को मैंने पहले ही फ़ोन कर दिया की आज जल्दी चलेंगे दूकान काम है तो कहा ठीक है में और मोहित घर से दूकान के लिए निकल गए रास्ते में मोहित ने पूछा की कोई काम है या अवंतिका के लिए ही जा रहा है जल्दी मैंने कहा नहीं काम है जबकि था वही जो मोहित कह रहा था में अवंतिका के लिए ही जल्दी जा रहा था !
हम दोनों दूकान आ गए और मैंने देखा वो सब बाहर बैठे थी पर अवंतिका नहीं थी यह देख के मेरा चेहरा उतर गया बहुत से बुरे बुरे ख्याल आने लगे वो क्यों नहीं आई आगे यह सब सोचते हुवे मैंने दूकान खोली और साफ़ सफाई करके पूजा अगरबत्ती की और कंप्यूटर चालु किया और चेयर पर बैठ गया मतलब की मेरा बॉडी ऐसा हो गया की में कोई बहुत ज्यादा काम करके बैठा हु उस तरह हो गया था कुछ भी करने का मन नहीं हो रहा था मेरा चेहरा  देख के मोहित भी समज गया की ऐसा क्यों हुवा है वो बोला टेंशन मत ले वो कही गई होगी या पीछे कोई काम होगा आ जायेगी मैंने कहा नहीं भाई वो मुझसे नाराज हो गई है उसने कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है फिर थोड़ी देर बाद वो बोला की ठीक है में चलता हु फैक्ट्री साम को मिलते है मैंने कहा ठीक जाओ जाते जाते उसने फिर कहा टेंशन मत लेना सब ठीक है मैंने कहा हां ठीक है ऐसा कहके वो निकल गया और में उदास था बहुत ज्यादा मन से इस तरह धीरे धीरे दूकान पर लोग आने लगे और में काम में बिजी हो गया फिर कंप्यूटर पर मेमोरी डौन्लोडिंग करने लगा क्युकी जहा पर मेरी दूकान थी वह पर उत्तरप्रदेश वाले लड़के वह पास की फ़ैक्टरियो में काम करते थे उनको मूवीज देखने का बहुत शोक था इसलिए हर दिन 8/10 लड़के मुझसे मेमोरी डाउनलोड करवाने जरूर आते थी कभी ज्यादा इसलिए पहले दिन में दूकान नहीं आया था इसलिए आज वो आ गए और मेमोरी में मूवीज डलवाने लगे इस तरह दोपहर के करीब करीब 1 बज चुके थे अब में अकेला ही बैठा था और जो मेमोरी बाकी थी उनको डाउनलोड कर रहा था क्युकी वो साम को ले जाने वाले थे कुछ डाउनलोड करवा के ले गए कुछ काम का टाइम हो जाने से वही दे गए की साम को ले जाएंगे तब तक आप डाउनलोड कर देना | आगे किया होता है जानने के लिए अगले चैप्टर में जाए और मजा ले में आपसे वादा करता आगे इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है आपको तो मिलते है अगले चैप्टर में Thanks.

©Kishor Maanju #hindi love story
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हेलो दोस्तों कैसे हो 
तो आज में आपसे एक ऐसी लव स्टोरी सुनाने जा रहा हु जो एक दम सच्ची है मेरा मतलब है की यह मेरी खुद की सच्ची लव स्टोरी है | तो दोस्तों बात आज सा करीब दस साल पहले की है जब मैंने बाहरवीं पास कर ली थी 2012 में और अब में आगे की पढाई कॉलेज में नॉन रेगुलर करना चाहता था क्युकी में मिडिल क्लास फॅमिली से हु और आपको पता ही है की मिडिल क्लास लोगो की लाइफ कैसी होती है ऐसा नहीं था की में पढाई में ाचा नहीं था मैंने इंग्लिश लिटरेचर से बाहरवीं पास की थी और आगे फाइनल भी इंग्लिश से ही की थीपर मेरे को उस टाइम पैसे कमाने का बोल सकते हो या कुछ और पर मैंने घरवालों को साफ़ साफ़ बोल दिया की अब मेरे को कुछ काम करना है तो घरवालों ने कहा की किया काम करेगा अभी तू बाकि टेंशन मत ले खाली अपनी पढाई पर ध्यान दे पर में नहीं माना | फिर आखिरकार घरवालों ने कह दिया की किया काम करेगा मैंने कहा की में अपनी खुद की कोई दूकान करूँगा | 

तो कहा कोई ना कर ले पर हम एक लाख से ज्यादा पैसे नहीं दे पाएंगे मैंने कहा नहीं एक लाख बहुत है | दोस्तों मेरा नाम विजय है और में राजस्थान के चूरू जिले से हु और मेरे घर में मम्मी पापा और हम तीन भाई और एक बहन है में दोनों भाइयो से छोटा और बहन से बड़ा हु छोटा होने की कारन सबका लाडला भी हु ! फिर मैंने आस पास पता किया की आज के टाइम के हिसाब से और मेरे बजट के हिसाब से किया काम सही रहेगा दोस्तों आपको पता ही होगा की उस टाइम 2012 में मेमोरी डौन्लोडिंग और चाइना के मोबाइल जो बहुत चलते थी तो मैंने सोचा की यह काम सही रहेगा और इसमें ज्यादा इन्वेस्टमेंट की भी जरुरत भी नहीं पड़ेगी फिर मैंने अपने घर से थोड़े दूर शहेर पड़ता है यही 4/5 किलोमीटर वाहां पर एक दुकान 1500 रुपया महीने के किराए पर ले ली अब मैंने उसमे कलर करवाया एक में और एक मेरा दोस्त दोनों ने मिलके दूकान में कलर किया फिर उसमे हमने लाइट फिटिंग करवाई अब मुझे फर्नीचर की जरुरत थी अगर नया करवाता तो बहुत महँगा पड़ता जो उस टाइम मेरे लिए मुश्किल था ऐसे ही कुछ दिन देखने के बाद मेरे एक रिलेटिव ने बताया की एक जगहे पुराना फर्नीचर है उसको ले लेते है फिर हमने जाके देखा और हमको पसंद आ गया और हमने वो खरीद लिया और हम उसको टैक्सी में डाल के दूकान पर ले आये फिर मेरे रिलेटिव जो भाई लगता था मेरे उसने कहा की में इसको रिपेयर कर दूंगा तो एक दम नया जैसा हो जाएगा तो मैंने कहा ओके फिर अगले दिन से में और वो दोनों मिलके काम सुरु कर दिया | जहा मैंने दूकान ली थी दूकान मालिक का घर भी वही पीछे था आगे दूकान मार्किट और पीछे घर उसके चार लड़किया थी तीन की शादी हो चुकी थी सबसे छोटी वाली की नहीं हुई थी उसकी उस टाइम वो करीब करीब 17 साल की थी देखने में बड़ी मासूम और बहुत ही खूबसूरत थी और दो भाई थी उसके एक छोटा था सबसे एक बड़ा था ! में देखने में ठीक ठाक था उस टाइम में महेंद्र सिंह धोनी की तरह लम्बे बाल रखता था और हाईट भी लम्भी है मेरी और वेट हिसाब का ना ज्यादा ना कम और रंग गोरा | तो हमने काम सुरु कर दिया तो उस दिन पहली बार कोई काम से पीछे दूकान मालिक के घर में गया था तो मैंने उस लड़की को पहली बार देखा था पर मैंने ज्यादा नोटिस नहीं किया और में अपना सामान लेके वापस आ गया और इस तरह हमको 5/6 दिन लगे पूरा फर्नीचर करने में इन दिनों में पूरा दिन काम की वजे से मेरे कपडे गंदे रहते थे! सांयकाल के समय वो सभी लोग आगे मार्किट के पास बड़ा हॉल था उसके आगे बैठ जाते थी उसकी माँ बहने और वो उसका छोटा भाई और उसकी बहेनो के बचे ! पर अभी तक ना उसने ना मैंने एक दूसरे को नोटिस नहीं किया था ! फिर फर्नीचर का काम पूरा होने के बाद में और एक मेरा दोस्त दोनों दिल्ली गए और वह से दूकान का सामान लेके आये कुछ मोबाइल , कुछ टच चाइना मोबाइल कुछ कीपैड मोबाइल , बाकी मेमोरी कार्ड , मोबाइल चार्जर , एयरफ़ोन , मोबाइल चार्जिंग पिन , कुछ मोबाइल रिपेयर का सामान,थोड़ा थोड़ा मोबाइल रिलेटेड सारा सामन लेके आये ,कम्प्यूटर मेरे पास पहले से ही था

इस तरह मैंने सारा सेटअप कर लिया दूकान का अपने बजट के हिसाब से साथ में मोबाइल रिचार्ज भी करता था अब 2 दिन बाद दूकान की ओपनिंग थी मैंने दूकान की ओपनिंग का प्रोग्राम ज्यादा बड़ा नहीं रखा अपने फॅमिली मेंबर्स कुछ ख़ास रिलेटिव और कुछ दूकान के आस पास के दूकानवालो को बुलाया था  ! आज मेरी दूकान की ओपनिंग थी में सुबह जल्दी उठा वैसे में जल्दी नहीं उठता था पर उस दिन अलग ही खुसी थी दूकान ओपनिंग की सारी रात सो नहीं पाया था सुबह करीब 7 बजे में रेडी होकर के दूकान आ गया दोनों भाई भी मेरे साथ आये थे उस दिन मैंने सफेद रंग का शर्ट और उस टाइम कार्गो जीन्स का बहुत ट्रेंड था वो ब्राउन रंग की कार्गो जीन्स पहनी थी और क्लीन सेव और लम्बे बाल जिसको कल मैंने कलर करवाया था बहुत ही बढ़िया लग रहा था और वाइट जुते पहने थे ! दूकान आने के बाद हमने जो भी जरुरत थी उस हिसाब से सामान तयार किया 10 बजे का महूरत था फिर थोड़ी देर में मेरे दोस्त और कुछ रिस्तेदार भी आ गए हमने दूकान के बहार महमानो के लिए खुर्सिया लगवाई और सब तयारी कर ली फिर पंडित जी भी आ गए और भी मेहमान भी आ गए उसके बाद पंडित जी ने पूजा की और बाकी जो भी होता है महूरत में वो किया सारा काम होने के बाद हमने आये हुवे महमानो को  चाय नास्ता करवाया और फिर धीरे धीरे वो सब चले गए अब में अकेला ही था और कंप्यूटर में एक मेमोरी कार्ड था उसको अपलोड कर रहा था तभी वो लड़की आई दूकान मालिक की सबसे छोटी वाली जो बहुत ही मासूम और खूबसूरत थी जिसका नाम अवंतिका था वो आई और बोली की मेरे मम्मी वाले मोबाइल में 50 रुपया का रिचार्ज कर दो मैंने कहा हां करता हु नंबर बताओ उसने नंबर बताये और फिर वो जाते टाइम मेरी तरफ देख के एक स्माइल की और चली गई में फिर अपने काम में लग गया फिर इस तरह सांयकाल का समय हुवा तो वो हमेशा की तरह बहार जो मार्किट के पास बना हुवा था उसके आगे आ गए क्युकी ! उसके पिताजी जो थोड़े सख्त सवभाव के थे जिससे उनसे सब डरते थे वो सांयकाल के समय हमेशा अपने गांव वाले घर जो वह से 2 किलोमीटर की दुरी पर था वहा जाते थे वहा वो उनकी कुछ गाये थी उनका दूध और उनको चारा डालने जाते थे एक लड़का भी रखा हुवा था जो हर वक़्त वही रहता था और गायो की देखभाल करता था बाकी सुबह साम दुकान मालिक ( अंकल जी ) जाते थे . तो वो सब वहा बैठे थे और मेरी दूकान भी उस हॉल से चिपका के थी इसलिए वो सब मेरी दूकान के गेट के ठीक आगे की तरफ बैठे थे इस कारन से वो सब मुझे अछि तरह से दिख रहे थे और उनको में वो लड़की अवंतिका बार बार मेरी तरफ देख रही थी और कई बार में भी फिर मेरा अंकल जी लड़का मोहित जो मेरा भाई और जिगरी दोस्त भी था और वही पास में एक फैक्ट्री में काम करता था वो वहा आ गया क्युकी वो सुबह मेरे साथ ही आता था और रात को मेरे साथ ही चलता था ! फिर हम दोनों भाई बाते करने लगे दिनभर कैसी रही आज दुकानदारी और भी बहुत सी बाते फिर मैंने उसको कहा की जा आगे की होटल से अछि सी चाय ले आ आज सुबह ओपनिंग के बाद से पी नहीं क्युकी अकेला था दूकान पर और चाय की होटल थोड़ी दुरी पर थी इसलिए जा नहीं पाया तो उसने कहा ठीक है लाता हु फिर वो गया वो चाय ले आया फिर उसने चाय एक मेरे को दी एक खुद ली पर एक चाय बच गई तो उसने कहा इसका किया करे तू डबल लेगा किया मैंने कहा नहीं में एक ही लूंगा तू पी ले या किसी को दे दे उसने कहा आंटी जी ( अवंतिका की मम्मी ) को दे देता हु मैंने कहा हां ठीक है दे दे तो उसने चाय का कप लेके आंटी जी को बोला की लो चाय पी लो तो उन्होंने कहा नहीं आप पियो हमने अभी पी है तो मोहित ने कहा की हमने ले ली है यह ज्यादा हो गई है इसलिए आप पी लो तो उन्होंने ले ली और वो लोग और मोहित बाते करने लग गए ! में दूकान के अंदर ही था कंप्यूटर में कुछ करने लगा और अवंतिका ठीक मेरी तरफ मुँह करके बैठी थी और बार बार मेरी तरफ देख रही थी और अब में भी उससे नजर मिलाने लगा था इस तरह काफी टाइम बीत गया करीब करीब रात के 9:30 बज गए थी तो वो लोग उठ गए और पीछे चले गए और मोहित दूकान के अंदर आ गया और बोला की विजय चले घर मैंने कहा हां चलो फिर हमने दुकान मंगल की और घर चले गए ! फिर घर जाने के बाद मम्मी पापा ने पूछा कैसा रहा आज का दिन मैंने कहा ठीक रहा आज तो पहला दिन था फिर भी ठीक ही रहा फिर मम्मी खाना ले आई और खाना खाते खाते हम बाते करने लगे दुकान की ओपिनिंग में कोन कोन आया और किया हुवा सब उसके बाद में अपने रूम में सोने चला गया और बाकी सब भी सो गए ! सोने के बाद में अवंतिका के बारे में सोचने लगा की किया सच मच वो मुझे पसंद करती है या ऐसे ही देख रही थी इस तरह सोचते सोचते मुझे नींद आ गई | 
सुबह जल्दी 6 बजे मम्मी ने आवाज दी की विजय बेटा उठ जा दूकान जाना है ना तो में उठ गया और फिर में चाय पीकर के दूकान के लिए रेडी होने लगा और 8 बजे में दूकान के लिए निकल गया और आगे से मोहित को भी साथ ले लिया मोहित का घर मेरे घर से थोड़ा आगे है सिटी की तरफ फिर हम दोनों दूकान आ गए ! दूकान आते ही मैंने देखा वो सब हॉल के आगे बैठे थे में जाके अपनी दूकान को ओपन किया फिर जारु लगाया और अगरबत्ती की इसके बाद मोहित बोला में जा रहा हु फैक्ट्री साम को मिलते है मैंने कहा ठीक है और फिर वो चला गया और मैंने उधर देखा तो वो अवंतिका मेरी तरफ ही देख रही थी और हलकी हलकी स्माइल कर रही थी तो मेरा भी मन किया की वापस उसको स्माइल करू पर फिर सोचा नहीं नहीं और थोड़ा शर्मा भी गया था में उसके बाद वो पीछे की तरफ चली गई थी क्युकी उसके पापा के आने का टाइम हो गया था ! अब में ज्यादा कुछ नहीं सोचते हुवे अपने काम में लग गया और पूरा दिन निकल गया साम को वही हमेशा की तरह वो सब आगे आ गए और मोहित भी आ गया था ! उसने थोड़ी देर मुझसे बाते की फिर बहार उनके पास चला गया और उनसे बाते करने लगा और अवंतिका कल की तरह ठीक मेरे सामने ही बैठी थी और बार बार मेरी तरफ देख रही थी और में भी उसको देख रहा था और कंप्यूटर में गाना चला रहा था जिसका वॉल्यूम इतना था की उन तक आराम से आवाज जा रही थी और गाना भी उस टाइम का फेमस लव रिलेटेड बार बार बदल रहा था में और वो काफी खुश लग रही थी और मन ही मन में भी बहुत खुश हो रहा था की इतनी खूबसूरत लड़की मेरे को इतना गौर से देख रही थी और स्माइल कर रही थी पर मेरी इतनी हिमत नहीं हो रही थी की उसको वापस स्माइल करू या कुछ इशारा करू इस तरह दूकान मंगल करने का टाइम हो गया था और वो भी पीछे की तरफ चले गए थे और हम भी दूकान मंगल करके घर की तरफ रवाना हो गए थे घर आके खाना खाके थोड़ी देर घरवालों से बाते करके सोने चला गया और अवंतिका के बारे में सोचने लगा था और काफी देर तक सोचता रहा और फिर नींद आ गई ! सुबह वही हमेशा की तरह इस तरह काफी दिन बीत गए वो मुझे देखती और में उसको इसके आगे दोनों ने कुछ नहीं किया ना उसने कुछ इशारा किया ना मैंने पर अब उसको देखना बहुत अच्छा लगता था घर आने के बाद यही सोचता की कब सुबह होगी कब अवंतिका को देखूंगा यही हाल उसका होगा मेरे हिसाब से वो भी यही सब सोचती होगी !

इस तरह काफी दिन ऐसा ही चलता रहा एक दिन हम लोग में और मोहित दुकान से घर आ रहे थे तो मोहित ने कहा की में तुमसे एक बात पुछु मैने कहा बोलो तो कहा की तेरा और अवंतिका का कुछ चल रहा है किया मैंने पहले तो कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है फिर मैंने वापस उससे पूछा तुजे ऐसा क्यों लगा तो कहा की में काफी दिनों से देख रहा हु वो हर टाइम तेरी और देखती है कई बार तेरे को भी देखा उसकी और देखते हुवे तो मैंने कहा हां यार देखती तो है और मुझे भी वो बहुत पसंद है पर अभी तक ना उसने कुछ बोला है ना मैंने तो उसने कहा मैंने कई बार तुम दोनों को एक दूसरे की और देखते हुवे देखा है इसलिए आज पूछा ! तो मैंने कहा तुजे किया लगता है किया करना चाइये तो उसने कहा की देख ज्यादा तो मुझे पता नहीं है बाकी लड़की अछी है हिमत करके बोल दे मैंने कहा नहीं नहीं पागल है किया उसने मना कर दिया या घर में किसी को बोल दिया तो किया होगा ! तब मोहित बोला की ऐसा कुछ नहीं होगा वो किसी को नहीं बोलेगी क्युकी वो खुद तेरे को पसंद करती है पर वो भी तेरी तरह कहने से शर्मा रही है ! 
मैंने कहा अभी कुछ नहीं मैने कहा बोलो तो कहा की तेरा और अवंतिका का कुछ चल रहा है किया मैंने पहले तो कहा नहीं ऐसा कुछ नहीं है फिर मैंने वापस उससे पूछा तुजे ऐसा क्यों लगा तो कहा की में काफी दिनों से देख रहा हु वो हर टाइम तेरी और देखती है कई बार तेरे को भी देखा उसकी और देखते हुवे तो मैंने कहा हां यार देखती तो है और मुझे भी वो बहुत पसंद है पर अभी तक ना उसने कुछ बोला है ना मैंने तो उसने कहा मैंने कई बार तुम दोनों को एक दूसरे की और देखते हुवे देखा है इसलिए आज पूछा ! तो मैंने कहा तुजे किया लगता है किया करना चाइये तो उसने कहा की देख ज्यादा तो मुझे पता नहीं है बाकी लड़की अछी है हिमत करके बोल दे मैंने कहा नहीं नहीं पागल है किया उसने मना कर दिया या घर में किसी को बोल दिया तो किया होगा ! तब मोहित बोला की ऐसा कुछ नहीं होगा वो किसी को नहीं बोलेगी क्युकी वो खुद तेरे को पसंद करती है पर वो भी तेरी तरह कहने से शर्मा रही है ! 
मैंने कहा अभी कुछ नहीं बोलूँगा देखते है किया होता है क्युकी में कोई भी जल्दबाजी करके कुछ गड़बड़ नहीं करना चाहाता था अब इसको मेरा डर बोलो या कुछ और पर मैंने फैसला कर लिया की अभी कुछ नहीं बोलूंगा फिर हम लोग घर चले गए ! पूरी रात नींद सही से नहीं आई अवंतिका के बारे में सोचता रहा अगले दिन सुबह उठ के दूकान के लिए चला गया आज मैंने सोचा की आज अवंतिका की और बिलकुल भी नहीं देखूंगा वो किया करती है इस तरह में दूकान जाते ही देखा की वो उसकी मम्मी एक बहन और छोटा भाई हॉल के आगे बैठे थे ! मोहित बाइक चला रहा था में पीछे बैठा था ! में बाइक से निचे उतर के सीधा दूकान का खोला और साफ़ सफाई की और अगरबत्ती करके मोहित को बोला की में एक मोबाइल आया हुवा है उसको ठीक करता हु तू यही बैठा है कुछ देर तब तक में इस मोबाइल को ठीक कर लेता हु क्युकी सुबह सुबह वह पर मोबाइल रिचार्ज वाले काफी आते थे तो मोहित उनके रिचार्ज करने लगा और में दूकान में पीछे की तरफ मोबाइल रिपेयर का केबिन बना हुवा था वहा पर मोबाइल ठीक करने लगा  ! आज मैंने एक बार भी अवंतिका की तरफ नहीं देखा और अंदर से बहुत बुरा भी लग रहा था मन कर रहा था की एक बार देख लू क्युकी वो भी सुबह से इंतज़ार कर रही होगी ! पर फिर सोचा नहीं आज नहीं किया पता वो कुछ कह दे इस तरह करने के बाद ! में काम में लग गया थोड़ी देर बाद मोहित बोला की विजय में अब जा रहा हु मेरा फैक्ट्री जाने का टाइम हो गया है मैंने कहा ठीक जाओ और वो चला गया फिर मैंने आगे जाके देखा 

तो वो सब भी अंदर चले गए थे ! उस दिन में यही सोचता रहा अब आगे किया होगा किया वो कुछ बोलेगी या आज के बाद मेरी तरफ देखा भी नहीं तो नाराज हो गई तो यही सब दिमाग में चलता रहा उस दिन काम में ठीक से मन नहीं लग रहा था ! इस तरह पूरा दिन निकल गया साम का टाइम हुवा वो हमेशा की तरह ही आगे हॉल के आगे आके बैठ गए और में अपनी दूकान में ही था ! मैंने धीरे से देखा तो वो हमेशा की जगहे पर ही बैठी थी उसके बाद मैंने वापस उधर नहीं देखा फिर मोहित आ गया और हम दोनों दूकान के अंदर ही बैठ गए और बाते करने लगे फिर एक दो मेरे दोस्त भी आ गए उनको मोबाइल लेना था तो उनको नया मोबाइल दिया और फिर मोहित जाके हम सबके लिए चाय लेके आया और काफी देर तक वो और में बाते करते रहे इन सब में मैंने एक बार भी अवंतिका की और नहीं देखा अब वो किया सोचती होगी या उसने भी नहीं देखा नराज हुई यह सब मेरे मन में चल रहा था फिर वो लोग मोबाइल लेके चले गए फिर मोहित बोला चले आज काफी लेट हो गए है हमारे यहाँ रात को मार्किट जल्दी बंद हो जाता है मेरे पास वाले दुकानदार तो 8 बजे ही चले जाते थे में 9:30 बजे तक रुकता था ! तो मैंने कहा हां चलो बातो बातो में आज 10:30 हो गए है चलते है फिर मैंने हॉल की तरफ देखा वह कोई नहीं था वो सब पीछे घर में जा चुके थे ! फिर हमने दूकान मंगल की और घर की तरफ रवाना हो गए रास्ते में मोहित ने पूछा आज तू उदास कैसे किया हुवा मैंने कहा कुछ नहीं बस ऐसे ही फिर उसने कहा ठीक है यह बता किया हुवा आज अवंतिका से बात कुछ आगे बड़ी मैंने कहा नहीं यार कुछ नहीं पर आज मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं तो मोहित बोला क्यों किया हुवा मैंने कहा ऐसे ही में देखना चाहाता हु की ऐसा करने से सायद वो कुछ बोल दे तो उसने कहा मुश्किल है लड़किया पहले कुछ नहीं बोलेगी बोलना तेरे को ही पड़ेगा ! ऐसे ही बाते करते करते हम घर आ गए और में खाना खाके सो गया और मन बहुत दुखी था की अब आगे किया होगा वो नाराज हो गई तो कल आगे नहीं आई तो यह सब सोचता रहा और फिर सो गया पर ठीक से नींद नहीं आई अगले दिन कोई काम हो गया इसलिए दूकान नहीं जा पाया और पुरे दिन काम में रहा तो रात को जल्दी सो गया |

अगले दिन सुबह में जल्दी उठ गया था क्युकी मैंने दो दिन से अवंतिका को नहीं देखा था इसलिए जल्दी से उसको देखना चाहाता था जल्दी उठ के चाय पी फिर नाहा के रेडी हो गया 7:30 बजे ही फिर मम्मी ने खाना बनाया टिफन पैक करवा के रवाना हो गया और मोहित को मैंने पहले ही फ़ोन कर दिया की आज जल्दी चलेंगे दूकान काम है तो कहा ठीक है में और मोहित घर से दूकान के लिए निकल गए रास्ते में मोहित ने पूछा की कोई काम है या अवंतिका के लिए ही जा रहा है जल्दी मैंने कहा नहीं काम है जबकि था वही जो मोहित कह रहा था में अवंतिका के लिए ही जल्दी जा रहा था !
हम दोनों दूकान आ गए और मैंने देखा वो सब बाहर बैठे थी पर अवंतिका नहीं थी यह देख के मेरा चेहरा उतर गया बहुत से बुरे बुरे ख्याल आने लगे वो क्यों नहीं आई आगे यह सब सोचते हुवे मैंने दूकान खोली और साफ़ सफाई करके पूजा अगरबत्ती की और कंप्यूटर चालु किया और चेयर पर बैठ गया मतलब की मेरा बॉडी ऐसा हो गया की में कोई बहुत ज्यादा काम करके बैठा हु उस तरह हो गया था कुछ भी करने का मन नहीं हो रहा था मेरा चेहरा  देख के मोहित भी समज गया की ऐसा क्यों हुवा है वो बोला टेंशन मत ले वो कही गई होगी या पीछे कोई काम होगा आ जायेगी मैंने कहा नहीं भाई वो मुझसे नाराज हो गई है उसने कहा नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं है फिर थोड़ी देर बाद वो बोला की ठीक है में चलता हु फैक्ट्री साम को मिलते है मैंने कहा ठीक जाओ जाते जाते उसने फिर कहा टेंशन मत लेना सब ठीक है मैंने कहा हां ठीक है ऐसा कहके वो निकल गया और में उदास था बहुत ज्यादा मन से इस तरह धीरे धीरे दूकान पर लोग आने लगे और में काम में बिजी हो गया फिर कंप्यूटर पर मेमोरी डौन्लोडिंग करने लगा क्युकी जहा पर मेरी दूकान थी वह पर उत्तरप्रदेश वाले लड़के वह पास की फ़ैक्टरियो में काम करते थे उनको मूवीज देखने का बहुत शोक था इसलिए हर दिन 8/10 लड़के मुझसे मेमोरी डाउनलोड करवाने जरूर आते थी कभी ज्यादा इसलिए पहले दिन में दूकान नहीं आया था इसलिए आज वो आ गए और मेमोरी में मूवीज डलवाने लगे इस तरह दोपहर के करीब करीब 1 बज चुके थे अब में अकेला ही बैठा था और जो मेमोरी बाकी थी उनको डाउनलोड कर रहा था क्युकी वो साम को ले जाने वाले थे कुछ डाउनलोड करवा के ले गए कुछ काम का टाइम हो जाने से वही दे गए की साम को ले जाएंगे तब तक आप डाउनलोड कर देना | आगे किया होता है जानने के लिए अगले चैप्टर में जाए और मजा ले में आपसे वादा करता आगे इस कहानी में बहुत ही मजा आने वाला है आपको तो मिलते है अगले चैप्टर में Thanks.

©Kishor Maanju #hindi love story
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