ना सोचा था कोई ज़िंदगी में आयेगा ऐसा जो लगेगा अपनों से ज़्यादा इतने करीब इतने पास जैसे समा गया हो कोई सांसों में बन के जीवन की आस जिसकी खुशबू से महक रहा आंगन सारा प्यारी सी गुड़िया, कोई शरबत का प्याला बस बना गई अपना ना फिर कोई मिला उसके जैसा ©Dr Supreet Singh #For_love