“ शीशे में डूब कर पीते रहे उस जाम को, कोशिशे तो बहुत की मगर भुला ना पाए उस एक नाम को ” #ग़ज़ाली —@फ़कीर मुआविया ज़फ़र ग़ज़ाली “रज़वि नूरी क़ादरी अमरोहिवी”