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'बरखा ' मैंने उसको जब भी देखा..... इठलात

'बरखा ' 

मैंने उसको जब भी देखा..... 
       इठलाते देखा बलखाते देखा.....,
डाल - डाल पर दौड़ लगाते देखा....
      पात - पात छनकाते देखा.........,
मुख फूलों सी मुस्कान लिये वो.....
     कण - कण को महकाते देखा......,
बूँदों ने पहनीं पाजेब हो जैसे.....
      बूँद - बूंद मन्द झनकाते देखा......,
राधा की कृष्ण से प्रीत है जैसे......
      पपिहे की स्वाति बूंद को देखा......, 
मीरा श्याम भजन में खोयी...... 
       दादुर की ऐसी भक्ति को देखा......, 
कोयल की मीठी पुकार है वो.....
       लहराती कोमल फुहार को देखा...., 
रंगोली माँ के आँगन की ये.... 
        मोहक रंगों की बरसात को देखा....., 
घनन- घनन- घन - घुमड - धुमड करे.... 
        गुर्राते मेघों के मैंने अंबार को देखा......, 
चमके सूरज की लाली की सी..... 
        चंचल चपल दामिनी तलवार को देखा....., 
निर्मल गंगा का अमृत जल है जैसे..... 
         ऐसी निर्झर बहती अमृत धार को देखा......., 
चित्त मित्र निमित्त निरंतर जिसका.....
         प्रकृति सुकुमार सौंदर्य अपार देखा......., 
उलझी आशाओं को पथ देती..... 
       शीतल बरखा  की पतवार को देखा...., 
मैंने उसको जब भी देखा.... 
         इठलाते देखा....मुस्काते देखा....., 
मन जीवन को उसको मैंने .... 
         प्रतिपल ही महकाते देखा.... ।

©Sonam Verma #rain #rainyday#journeyoflife #rainmusic#happysoul#happiness
'बरखा ' 

मैंने उसको जब भी देखा..... 
       इठलाते देखा बलखाते देखा.....,
डाल - डाल पर दौड़ लगाते देखा....
      पात - पात छनकाते देखा.........,
मुख फूलों सी मुस्कान लिये वो.....
     कण - कण को महकाते देखा......,
बूँदों ने पहनीं पाजेब हो जैसे.....
      बूँद - बूंद मन्द झनकाते देखा......,
राधा की कृष्ण से प्रीत है जैसे......
      पपिहे की स्वाति बूंद को देखा......, 
मीरा श्याम भजन में खोयी...... 
       दादुर की ऐसी भक्ति को देखा......, 
कोयल की मीठी पुकार है वो.....
       लहराती कोमल फुहार को देखा...., 
रंगोली माँ के आँगन की ये.... 
        मोहक रंगों की बरसात को देखा....., 
घनन- घनन- घन - घुमड - धुमड करे.... 
        गुर्राते मेघों के मैंने अंबार को देखा......, 
चमके सूरज की लाली की सी..... 
        चंचल चपल दामिनी तलवार को देखा....., 
निर्मल गंगा का अमृत जल है जैसे..... 
         ऐसी निर्झर बहती अमृत धार को देखा......., 
चित्त मित्र निमित्त निरंतर जिसका.....
         प्रकृति सुकुमार सौंदर्य अपार देखा......., 
उलझी आशाओं को पथ देती..... 
       शीतल बरखा  की पतवार को देखा...., 
मैंने उसको जब भी देखा.... 
         इठलाते देखा....मुस्काते देखा....., 
मन जीवन को उसको मैंने .... 
         प्रतिपल ही महकाते देखा.... ।

©Sonam Verma #rain #rainyday#journeyoflife #rainmusic#happysoul#happiness
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Sonam Verma

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