हे! भारत के युवाचार उठो तुम अब बीच बाजार। पुच्छल तारों सा गगन में हो जाओ द्वै-दीपमान। ऊर्जा विहीन लोकतंत्र को सिंचओ तुम अपने रक्तधार। लोकतंत्र की मर्यादा थामो, करो कुटिल शत्रु विनाश। हे! भारत के युवाचार कलम शस्त्र बनाओ यार। संविधान का शपथ ले भरो एक नया हुँकार। साहस,शील,मर्यादा चरित्र की साथ रखो तुम सत्य पुकार। दया भाव हो हृदय में यही है, गीता का सार। आधुनिकता के इस नए युग मे बंधे क्यु विकिरणों से। भारत का इतिहास प्रिय हो सुनो अपने कर्णो से। भ्रष्ट, कुटिल सामाजिक व्याधि के चिकित्सक तुम हो जाओ। स्वस्थ शरीर,स्वस्थ समाज की सपना तुम सजाओ। हे! भारत के युवाचार फिर से होस में आओ। आत्म शक्ति की प्रेरणा ले ऊर्जा नई जगाओ। हे! भारत के युवाचार.. हे! भारत के युवाचार..... हे! भारत के युवाचार........... जागो, उठो अब बीच बाजार.......................। youth voice #@by Deep